Month: अप्रैल 2018

विश्वास, प्रेम और आशा

मेरी बुआ कैथी ने अपने पिता (मेरे नाना) की घर में 10 वर्ष देखभाल की। जब वह आत्मनिर्भर थे, वह खाना पकाती, कपड़े धोती। उनकी सेहत बिगड़ने पर उन्होंने नर्स की भूमिका निभाई।

उनकी सेवा पौलुस के शब्दों का आधुनिक उदाहरण है, जिसने थिस्सलुनिकियों को लिखा था कि वह उन सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद...। (1 थिस्सलुनिकियों 1:3)

बुआ ने विश्वास और प्रेम  से सेवा की। उनकी प्रतिदिन की, देखभाल उनके इस विश्वास का परिणाम थी कि इस कार्य की बुलाहट परमेश्वर की ओर से थी। उनका श्रम परमेश्वर और उनके पिता के प्रति प्रेम से उत्पन्न हुआ था।

उनमें भी आशा की धीरता थी। मेरे नाना दयालु व्यक्ति थे, परन्तु उनकी हालत बिगड़ते देखकर उन्होंने परिवार और दोस्तों से मिलना-जुलना और कहीं आना जाना कम कर दिया। वह इसलिए दृढ़ बनी रही क्योंकि उन्हें विश्वास था कि परमेश्वर हर दिन उन्हें सामर्थ देंगे, स्वर्ग की उस आशा के साथ जो मेरे दादा की प्रतीक्षा कर रही थी। 

चाहे किसी अपने की देखभाल करने की,  पड़ोसी की मदद करने की या अपना समय देने की बात हो, धीरज धारण करें क्योंकि आप वह कार्य कर रहे हैं जिसके लिए परमेश्वर ने आपको बुलाया है। आपका श्रम विश्वास, आशा और प्रेम की एक सामर्थपूर्ण गवाही हो सकते हैं।

कब तक?

लुईस कैरल की उत्कृष्ट कृतिएलिस इन वंडरलैंड में, ऐलिस पूछती है, "सदा के लिए कब तक होता है?" व्हाईट रेबिट उत्तर देता है, "कभी-कभी, सिर्फ एक सेकंड ।"

समय का आभास कुछ ऐसा ही था जब मेरे भाई डेविड का अचानक देहांत हो गया। उनकी शोकसभा तक जितने दिन बाकि थे, लंबे लगने लगे जिसने उन्हें खो देने के दुख को और  गहरा बना दिया। हर सेकंड सदा चलने वाले युग के समान प्रतीत होता।

एक दूसरे डेविड (राजा दाउद) ने इस भाव को इस गीत में प्रतिध्वनित किया, हे परमेश्वर, तू कब तक? ...? (भजन संहिता 13:1 -2)। सिर्फ दो छंदों में चार बार वह परमेश्वर से पूछते हैं, "कब तक?" कभी-कभी जीवन के दर्द अंतहीन लगने लगते हैं।

हमारे इस दर्द में हमारे स्वर्गीय पिता हमें अपनी उपस्थिति परवाह से भरते हैं। राजा दाऊद के समान हम अपनी दर्द और पीड़ा के साथ सच्चाई से उनके पास जा सकते हैं, यह जानते हुए कि वह हमें कभी न छोडेंगे और त्यागेंगे (इब्रानियों 13:5)। यह भजनकार भी जान गया था, उसने अपने विलाप को विजयी घोषणा में बदल दिया: परन्तु मैं ने तो तेरी...। "(भजन संहिता 13:5)।

उनकी करूणा  हमें उन संघर्ष के घड़ियों में थाम लेगी, जो अंतहीन प्रतीत होती हैं। हम उनके उद्धार में आनंदित हो सकते हैं।

केवल प्रार्थना के द्वारा

मेरी मित्र ने कैंसर के उपचार के दौरान मुझे देर रात फ़ोन किया। उसके रुदन से मेरा दिल भर आया और मैंने प्रार्थना की। हे प्रभु, मैं क्या करूं?

उसके रुदन ने मेरा दिल चीर डाला। उसकी पीड़ा को कम या उसकी स्थिति को सही या उसे प्रोत्साहित करने के लिए मैं कुछ ना कर सकी। परंतु मैं जानती थी कि कौन सहायता कर सकते हैं। प्रार्थना में मुश्किल हुई तो मैं फुसफुसाई यीशु, यीशु, यीशु।

उसका रोना सिसकियों में बदल कर धीमी सासों में थम गया। उसके पति ने बताया कि, "वह सो गई है" । "हम कल फोन करेंगे।" फोन रख कर मैंने रोते-रोते प्रार्थना की।

प्रेरित मरकुस ऐसे पिता की कहानी बताता है शैतान के चुंगल में फंसे अपने पुत्र को यीशु के पास लाया (मरकुस 9:17)। अपनी जटिल समस्या के वर्णन केk साथ उसकी प्रार्थना में संदेह था (पद 20-22)। उसने यीशु से उसके अविश्वास का उपाय करने को कहा। यीशु के नियंत्रण लेते ही पिता और पुत्र को मुक्ति और शांति मिली (पद 25-27)। 

हमारे प्रियजनों को पीड़ा हो तो स्वभाविक तौर पर हम सही करना चाहते हैं, परंतु केवल प्रभु यीशु ही हमारी सहायता कर सकते हैं। यीशु नाम पुकारने से, वे उनके सामर्थ और उपस्थिति पर विश्वास करने में हमें सक्षम बनाते हैं।

एक विरासत छोड़ना

कुछ साल पहले मैंने अपने बेटों के साथ सलेमोन, इडाहो की  "रिवर ऑफ नो रिटर्न" नामक नदी पर स्थिति एक परित्यक्त फार्म में एक सप्ताह बिताया।

एक दिन फार्म पर टहलते समय मैंने एक पुरानी कब्र देखी। वहाँ काठ पर लिखी लिखावट अब मिट चुकी थी। कोई, जो जीवित था और मर गया-अब भुलाया जा चुका है। कब्र की जगह दुखद थी। घर पहुंचकर उस पुराने फार्म के इतिहास के बारे में जानने की मैंने कोशिश की। परन्तु उस व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी ना मिली।

कहावत है कि सबसे उत्तम लोगों को लगभग सौ साल याद किया जाता है। हम बाकियों को जल्द भुला दिया जाता है। पिछली पीढ़ियों की यादें हमारी लिखावट के समान जल्द मिटने लगती है। तो भी हमारी विरासत परमेश्वर के परिवार के माध्यम से आगे पारित होती आई है। परमेश्वर से और दूसरों से हम अपने जीवन में कैसे से प्रेम करते हैं, बस वह बाकि रह जाता है। मलाकी 3:16-17 हमें बताता है, जो यहोवा का भय मानते...। 

पौलुस ने दाऊद के बारे में कहा कि क्योंकि दाऊद तो...(प्रेरितों के काम 13:36)। उसके समान हम भी परमेश्वर से प्रेम करें और हमारी पीढ़ी में उसकी सेवा करें और स्मरण को उन्हीं पर छोड़ दें। “वे मेरे निज भाग ठहरेंगे,” यहोवा की वाणी है।

दुख में सामर्थ

18 वर्षीय सैमी के यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करने पर, उसके परिवार ने उसे त्याग दिया क्योंकि उनकी परंपरा भिन्न विश्वास की थी। परंतु मसीही समुदाय ने उसे प्रोत्साहन दिया, और शिक्षा के लिए आर्थिक समर्थन देकर उसका स्वागत किया। उसकी गवाही के एक पत्रिका में प्रकाशित होने पर उसका सताव और बढ़ गया।

परंतु जब संभव होता सैमी परिवार से मिलने जाता और अपने पिता से बातें करता। हालाँकि, उसके भाई-बहन उसे परिवार के मामलों में भाग लेने से रोकते। पिता की बीमारी पर उसने परिवार की नाराजगी को नज़रअंदाज़ करके चंगाई के लिए प्रार्थनाएं करते हुए, पिता की सेवा की। जब परमेश्वर ने उन्हें चंगा कर दिया तो परिवार सैमी के प्रति स्नेह दिखाने लगा। समय के साथ उसकी प्रेममई गवाही से उसके प्रति उनका व्यवहार नर्म हुआ-और कुछ परिजन यीशु के बारे में सुनने के लिए इच्छुक हो गए। 

मसीह का अनुसरण करने का हमारा निर्णय कठिनाइयों ला सकता है। पतरस ने लिखा,  “क्योंकि यदि कोई...(1 पतरस 2:19)। विश्वास के कारण जब हम दुख उठाते हैं तो हम ऐसा इसलिए करते हैं, “क्योंकि मसीह भी...(पद 21)। 

जब दूसरों ने उनका अपमान किया, “वह गाली सुन कर...(पद 23)। दुख उठाने का हमारा उदाहरण यीशु हैं। सामर्थ पाने के लिए हम उनके पास आ सकते हैं।

खरापन

दक्षिण एशियाई खेलों में मैराथन दौड़ के दौरान सिंगापुर के एशले लियू बढ़त बनाने पर समझ गए कि गलत मोड़ लेने के कारण अग्रणी धावक पीछे रह गए थे। एशले उनकी गलती का लाभ उठा सकते थे परंतु उनकी खिलाड़ी-भावना ने कहा कि यह वास्तविक जीत ना होगी। वह इसलिए जीतना चाहते थे क्योंकि तेज धावक थे-किसी की गलती के कारण नहीं। अपनी भावना पर उन्होंने गति धीमी कर दी ताकि दूसरे उनके बराबर पहुंच सके।

अंततः एशले दौड़ और पदक हार गए। परंतु उन्होंने अपने देशवासियों के दिलों को-और निष्पक्ष खेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। मसीही के रूप में यह उनके विश्वास की अच्छी गवाही थी,  जिससे कईयों ने पूछा होगा, “ वह क्या था जिसने उनसे ऐसा  करवाया?"

उनका यह काम मुझे मेरे कामों से अपने विश्वास को बाँटने की चुनौती देता है। विचारशीलता, दया, या क्षमा जैसे छोटे-छोटे काम परमेश्वर को महिमा दे सकते हैं। जैसे पौलुस कहते हैं, “सब बातों में... (तीतुस 2:7–8)।

दूसरों के लिए किए हमारे सकारात्मक काम संसार को दिखा सकते हैं कि अपने भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के कारण हम दूसरों से अलग जीवन जी सकते हैं। अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेर कर संयम और धर्म और भक्ति से जीवन जीने का हमें वह अनुग्रह देंगे (पद 11-12)।

शान्ति को बाँटा गया

"परमेश्वर ने तुम्हें आज मेरे पास भेजा है!"

विमान के शिकागो पहुंचकर कर विदा लेते हुए उस महिला ने यह शब्द कहे। विमान में वह मेरे सामने बैठी थी, जहां मैंने उसके कई उड़ानों के बाद अब वापस लौटने के बारे में जाना। “बुरा ना मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूं कि इतनी जल्दी वापसी का क्या कारण है”?  मैंने पूछा। नीचे देखते हुए उसने कहा, “अपनी बेटी की नशे की लत के कारण मैंने उसे आज नशा मुक्ति केंद्र में डाला है”।

मैंने विनम्रता से उसे अपने बेटे की हेरोइन ड्रग से संघर्ष की कहानी सुनाई और कहा कि कैसे यीशु ने उसे मुक्त किया था। यह सुनकर, आंखों में आंसू होते हुए भी वह मुस्कुराने लगी। विमान उतरने के बाद हमने परमेश्वर से उसकी बेटी की बेड़ियों को तोड़ देने के लिए प्रार्थना की।

बाद में मैंने 2 कुरिन्थियों 1: 3-4 में पौलुस के शब्दों के बारे में सोचा:”हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर...:। 

हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जिन्हें उस शांति से प्रोत्साहन पाने की आवश्यकता है जिसे केवल परमेश्वर दे सकते हैं। उनकी इच्छा है कि हम दयालु करुणा के साथ उनके पास जाकर उस प्रेम को साझा करें जिसे उन्होंने हमसे बांटा है। परमेश्वर आज हमें उन लोगों तक भेजें जिन्हें उनकी शांति की आवश्यकता है।

जो हम सुनना चाहते हैं

हमारी प्रवृति अपने विचारों से मेल खाती जानकारी खोजने की होती है। अनुसंधान दिखाते हैं कि अपनी स्थिति से मेल खाती जानकारी खोजने की संभावना वास्तव में दो गुना अधिक होती है। अपनी सोच के प्रति अत्यंत प्रतिबद्ध होने के कारण हम उन विचारों से बचते हैं जो हमारी स्थिति के प्रतिकूल हों।

इस्राएल के राजा अहाब ने और यहूदा के राजा यहोशापात ने गिलाद के रामोत  पर चढ़ाई की चर्चा की, तो अहाब ने अपने 400 भविष्यवक्ताओं को एकत्रित किया-जिन्हें उसने इस भूमिका के लिए स्वयं नियुक्त किया था, जो वही कहेंगे जिसे वह सुनना चाहता था-निर्णय में उसकी सहायता के लिए। उन्होंने उत्तर दिया चढ़ाई कर...(2 इतिहास 18:5)। यहोशापात के पूछने पर कि, क्या यहोवा का चुना और कोई नबी है जिससे पूछ लें?  इस्राएल के राजा ने यहोशापात से...(पद 7)। मीकायाह ने कहा...(पद 16)।

मैं देखती हूं कि उनकी कहानी के समान मैं भी कैसे,बुद्धिमानी से भरी सलाह से बचने की प्रवृति रखती हूं, यदि वह वो ना हो जिसे मैं सुनना चाहती हूं। अहाब का उसके “चापलूस”-400  भविष्यवक्ताओं-को सुनने का परिणाम-विनाशकारी हुआ (पद 34)। हम बाइबिल में परमेश्वर के वचन की सच्ची वाणी की खोज करें और उसे सुनने के लिए तैयार रहें भले ही वह हमारी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के विपरीत क्यों ना हो।

बरामदे में राहत

एक अत्यधिक गर्म दिन पर, आठ वर्षीय कारमाइन सुनिश्चित करना चाहता था कि  डाकिया आए तो उसे कुछ ठंडा पीने को मिले, इसलिए उन्होंने बरामदे में एक कूलर में स्पोर्ट्स ड्रिंक और पानी रख दिया। सुरक्षा कैमरे ने उसकी प्रतिक्रिया रिकॉर्ड की: "ओह, पानी और गेटोरेड। परमेश्वर का शुक्र है; धन्यवाद!"

उसकी माँ कहती है, "कारमाइन डाकिये को ठण्डा पिलाकर तृप्त करना अपना कर्तव्य समझता है, चाहे वे घर पर न हों।"

यह कहानी हमारा दिल छूने के साथ यह याद दिलाती है कि कोई है जो, पौलुस के शब्दों में, “तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा”। यद्यपि पौलुस जेल में और भविष्य के प्रति अनिश्चित था, तो भी फिलिप्पी के मसीहियों के लिए आनन्दित था क्योंकि उनके धन के उपहारों के माध्यम से परमेश्वर ने उसकी जरूरतें पूरी कीं। फिलिप्पी कलीसिया धनी नहीं थी, परन्तु वे उदार थे, उन्होंने पौलुस और दूसरों को कंगालपन से निकाला (2 कुरिन्थियों 8:1-4)। जैसे फिलिप्पियों ने पौलुस को तृप्त किया, परमेश्वर भी अपने उस धन के... (फिलिप्पियों 4:19)।

परमेश्वर अक्सर आड़े माध्यमों के द्वारा सीधी सहायता भेजते हैं । वह दूसरों की सहायता से हमारी ज़रूरतों को पूरा करते हैं। जब हम उन पर भरोसा करते हैं, तो पौलुस के समान वह हमें भी सच्चे संतोष का भेद सिखाते हैं (पद 12-13)।